कहानी उस 'बूढ़े साधु' की, जिसकी प्रेरणा से बनी मशहूर Old Monk रम

यह रम एक बूढ़े साधु से इस्पात करता है, 

 Old Monk रम एक पूर्वावलोकन, दिलचस्प कहानी और संयोग का नतीजा है। यह एक भारतीय रम है, जो 1954 में भारतीय रेफाइनरीज़ लिमिटेड के बॉस, गुरदीप सिंह जी द्वारा बनाई गई थी।

यह रम एक बूढ़े साधु से इस्पात करता है, जो एक दिन गुरदीप सिंह जी के पास आया था। साधु ने रम की स्वर्णिम रंगत देखते हुए, इसकी खुशबू और स्वाद के बारे में पूछते हुए कहा कि इसमें कुछ ख़ास चीज़ें हैं। गुरदीप सिंह जी ने साधु से कहा कि यह रम उनकी खुद की रिसर्च और विकसित की गई है और उन्होंने कुछ अलग तरीकों से इसे बनाया है।


यह बूढ़ा साधु बहुत ही विद्वान व्यक्ति था और उन्होंने रम के स्वरूप को विश्लेषण करना शुरू कर दिया। उन्होंने रम को अलग-अलग प्रकार के जड़ी बूटियों, खड़ेदानों और फलों के साथ मिश्रित करने की सलाह दी। साधु ने गुरदीप सिंह जी को बताया कि ये तरीके इस रम को अलग बनाने में मदद करते हैं।

गुरदीप सिंह जी



साधु ने इसके अलावा, रम के रखरखाव और पूरे प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली मिट्टी के बारे में भी बताया। साधु ने बताया कि उस मिट्टी में एक ख़ास प्रकार का कीटाणु होता है, जो इस रम को अलग बनाता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह मिट्टी सिर्फ दक्षिण आज़ाद हिंदोस्तान में ही मिलती है।

साधु की सलाह का अनुसरण करते हुए 

गुरदीप सिंह जी ने साधु की बात सुनते हुए इस रम को और भी बेहतर बनाने का फैसला किया। उन्होंने साधु की सलाह का अनुसरण करते हुए रम में इस मिट्टी का उपयोग करना शुरू किया। इसके साथ-साथ, वे इस रम को लंबे समय तक बरेल में में उम्र देने का भी फैसला किया।


इस तरह, Old Monk रम एक अद्भुत और अलग-थलग फ्लेवर के साथ बनाया गया था। यह बहुत ही मशहूर हो गया था और लोगों के बीच इसकी दिन-प्रतिदिन बढ़ती लोकप्रियता के साथ, इसकी क्वालिटी को बनाए रखने के लिए भी काफी प्रयास किए गए।


आज, Old Monk रम एक बहुत ही पूजनीय ब्रांड है जिसके प्रेमी दुनियाभर में है

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